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7. उपसर्ग

7. उपसर्ग

यौगिक शब्द मुख्यतः चार प्रकार से बनते या बनाये जाते हैं  

1. रूढ़ शब्द के पहले कुछ शब्दांश जोड़कर जिन्हें उपसर्ग या पूर्वप्रत्यय कहते हैं,  

2. रूढ़ शब्द के बाद कोई शब्दांश लगाकर जिन्हें प्रत्यय या पर प्रत्यय कहा जाता है। 

3. दो-दो शब्द इकट्ठे बैठाकर जिन्हें समास कहा गया। 

4. दो-दो, तीन-तीन शब्द जोड़कर उनके अंत और ध्वनियों को एक-जान करके अर्थात् संधि द्वारा।  

उपसर्ग (PREFIX) 

परिभाषा: उस शब्दांश या अव्यय को उपसर्ग कहते हैं जो किसी शब्द के पहले आकर विशेष अर्थ प्रकट करता है। यह ‘उप’ और ‘सर्ग’ दो शब्दों के योग से बना है। उप = निकट या पास में, सर्ग = सृष्टि करना। जैसे ‘हार’ और ‘बन’ शब्द के पूर्व क्रमशः ‘प्र’ और ‘अन’ उपसर्गों के लग जाने से ‘प्रहार’ और ‘अनबन’ नए शब्द बन गए। इनका नया अर्थ हुआ मारना और मनमुटाव। 

1. अ 

अभाव, निषेध (नहीं) 

अकथनीय: जो कहा न जा सके, जिसका वर्णन करना कठिन हो।  

अकरणीय: न करने योग्य, जिसे करना ठीक न हो। 

अकर्तित: जो कटा या कतरा न गया हो।  

अक्षम्य: जिसे क्षमा न कर सकें।  

अगम: जहां तक कोई न पहुंच सके_ जो जल्दी समझ में न आए।  

अतृप्त: जो तृप्त या संतुष्ट न हुआ हो_ भूखा।  

अदृष्ट: जो न देखा हो_ लुप्त। 

अनौचित्य: अनुचित होने का भाव।  

अमर्त्य: न मरने वाले, अमर, प्राणी, मनुष्य।  

अस्वामिक: जिसका कोई स्वामी न हो, लावारिस।  

अचूक: न चूकने वाला, पक्का 

अडिग: अटल, स्थिर 

अथक: जो न थके 

अबेर: देर, विलंब 

अमिट: जो न मिटे, अवश्यंभावी  

अलोना: जिसमें नमक न पड़ा हो, फीका  

2. अंतः, अंतर, अंतस् 

‘भीतर’ या ‘बीच का’ 

अंतःकरण: अंदर की संकल्प-विकल्प अच्छे-बुरे के विवेक और स्मरण की शक्ति।  

अंतःपुर: घर या महल का भीतरी भाग जिसमें स्त्रियां रहती हैं।  

अंतःश्वसन: सांस को भीतर खींचने की क्रिया।  

अंतर्ज्ञान: मन में होने वाला, स्वाभाविक, बिना बाहर की प्रेरणा से उत्पन्न ज्ञान। 

अंतर्दृष्टि: वह मानसिक शक्ति जिसके द्वारा व्यक्ति प्रच्छन्न रहस्य को जान लेता है।  

अंतर्द्वद्वं: मन में अंतर्विरोधी विचार और संघर्ष उत्पन्न होने की स्थिति।  

अंतर्धान: लुप्त, एकदम अदृश्य हो जाना। 

अंतर्धारा: नदी या समुद्र की ऊपरी धारा के नीचे बहने वाली धारा।  

अंतर्भौम: पृथ्वी के भीतरी भाग का। 

अंतर्वती: अंतर्गत, भीतर होने वाला या रहने वाला।  

अंतस्तत्व: हृदय या मन का भीतरी भाग। 

अंतस्थ: दो वस्तुओं के बीच का।  

3. अति 

अतिदेश: दूसरे किसी विषय में किया जाने वाला आरोप, अवधि आगे बढ़ाने की बात  

अतिपात: जीवहिंसा, अव्यवस्था, बाधा 

अतिरंजना: किसी बात को बहुत अधिक बढ़ाकर कहना 

अतिरेक: अधिकता, अतिविस्तार, अधिक होने का भाव  

अतिव्याप्ति: लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य बहुत पर लक्षण के आ जाने का दोष 

अतीन्द्रिय: इन्द्रियों के अनुभव से परे  

अत्युक्ति: बढ़ा-चढ़ाकर कही हुई बात  

4. अधः 

अधःपतन: नीचे गिरना, अवनति, दुर्दशा। 

अधोगामी: नीचे जाने वाला, अवनति की ओर जाने वाला।  

अधोमुख: औंधा, उल्टा, उल्टे मुंह, मुंह के बल। 

अधोलोक: नीचे का लोक, पाताल। 

अधोहस्ताक्षरी: पत्र के नीचे हस्ताक्षर करने वाला।  

5. अधि 

अधिकरण: जिसके ऊपर या अन्दर कोई वस्तु टिकी हो, आधार, सहारा।  

अधिक्षेत्र: (अधिकार) अधिकार-क्षेत्र। 

अधिगत: (स्वार्थ) पाया हुआ, जाना हुआ, ज्ञात। 

अधित्यका: (ऊपर) पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि। 

अधिशासी: (ऊपर से) देख रेख करने वाला (अभियंता)। 

अधिष्ठाता: (प्रधान) मुखिया, ईश्वर।  

अधिहरण: (अधिकार) अधिकार पूर्वक जब्त करना। 

6. अन् 

अनंतर: अन् + अंतर (पीछे, लगातार, निरंतर) 

अनद्यतन: अन् + अद्यतन (जो आजकल का न हो) 

अननिवार्य: अन् + अ + निवार्य (जो अनिवार्य न हो) 

अनपत्य: अन् + अपत्य (जिसे अपत्य या सन्तान न हो) 

अनभ्यस्त: अन् + अभ्यस्त (जिसने अभ्यास न किया है, जिसका अभ्यास न किया गया हो)। 

अनवधान: अन् + अवधान (असावधानी) 

अनाप्त: अन् + आप्त (अप्राप्त) 

7. अनु 

अनुकंपा: (साथ) दया, कृपा।  

अनुकृत: (पीछे) जिसका अनुकरण किया गया हो।  

अनुगृहीत: (बार-बार) जिस पर अनुग्रह किया गया हो। 

अनुजीवी: (पीछे) सेवक, नौकर, आश्रित। 

अनुज्ञप्त: (पीछे) जिसके लिए स्वीकृति पहले मिल गई। 

अनुधावन: (पीछे) पीछे चलना, अनुसरण करना।  

अनुयान: (पीछे) वह यान जिसे कोई दूसरी गाड़ी खींचती है।  

अपकर्ष: (नीचे) नीचे खींचना, उतार, गिराव।  

अपकीर्ति: (बुरा) अपयश, बदनामी। 

अपघर्षण: (विकार) रगड़ से घिसना।  

अपचेता: (बुरा) किसी की बुराई सोचने वाला।  

अपमिश्रण: (बुरा) घटिया चीज मिलाना। 

अपयोजन: (बुरा) किसी की सम्पत्ति को अनुचित रूप से काम में लाना। 

अपरूप: (बुरा) बदशक्ल, भद्दा, बेडौल। 

अपताप: (अपकर्ष) व्यर्थ की बकबक। 

8. अभि 

अभिकर्ता: (अच्छी तरह) प्रतिनिधि, एजेंट।  

अभिघात: (स्वार्थे) चोट पहुंचाना, प्रहार, मार। 

अभिज्ञ: (अच्छी तरह) जानकार, निपुण, कुशल। 

अभिपुष्ट: (अच्छी तरह) जिसको पक्का किया गया हो।  

अभिभाषण: (अच्छा) विवेचनयुक्त लिखित भाषण। 

अभिषंग: (अनुचित) आक्रोश, कोसना, मिथ्या, अपवाद।  

9. अव 

अवकाश: (व्याप्त) रिक्त या शून्य स्थान, दूरी, अंतर, अवसर, समय, खाली समय, छुट्टी।  

अवक्रांत: वरिष्ठ अधिकार द्वारा हटा या दबाकर अपने कब्जे में ले लिया गया हुआ। 

अवक्षय: सड़-गलकर जीर्ण-क्षीण हुआ।  

अवगुंठन: व्याप्ति ढकना, छिपाना, रेखा से घेरना, घूंघट। 

अवच्छिन्न: अलग किया हुआ।  

अवज्ञा: उचित मान का अभाव, आज्ञा न मानना। 

अवमर्दन: कष्ट पहुंचाना, कुचलना। 

10. आ 

आकुंचन: सिकुड़ना, सिमटना। 

आख्यात: स्थान, प्रसिद्ध। 

आगणन: आना, आकर पहुंचना, प्राप्ति, लाभ।  

आच्छादन: ढकना, वस्त्र, छाजन। 

आदर्श: नमूना।  

आपात: गिराव, किसी घटना का अचानक हो जाना।  

आरोपण: लगने या स्थापित करने का कार्य।  

आसन्न: निकट, बहुत कुछ पास पहुंचा हुआ।  

11. आत्म 

आत्मगत: अपने में आया या मिलाया हुआ, स्वगतकथन। 

आत्मघात: अपने हाथों अपने को मार डालना, आत्महत्या। 

आत्मज: अपने (खून) से उत्पन्न, लड़का, पुत्र, कामदेव। 

आत्मनिवेदन: आत्मसमर्पण, अपने को या अपना सर्वस्व अपने बड़े पर न्यौछावर कर देना। 

आत्मप्रदर्शन: अपने गुणों, कृत्यों का लोगों के सामने दिखावा। 

आत्मबलि: किसी उचित कार्य के लिए दी गई कुर्बानी। 

आत्मविस्मृति: अपने आप को भूल जाना, अपना ध्यान न रखना।  

आत्मश्लाघा: अपने गुणों, धन, कृत्यों की अपने आप तारीफ।  

आत्मसात्: अपने में लीन किया हुआ, अपने अंतर्गत कर लिया हुआ।  

आत्मोत्सर्ग: दूसरे की भलाई के लिए स्वार्थ या हित छोड़ना। 

आत्मोद्धार: अपना उद्धार, अपने चरित्र का सुधार करना। 

आत्मोन्नति: अपनी उन्नति, अपने चरित्र की उत्रति। 

12. उत् 

उत्क्रम: उलटा क्रम, ऊपर से नीचे का क्रम। 

उत्क्रांत: ऊपर की ओर चढ़नेवाला, जिसका उत्क्रमण हुआ हो। 

उत्तप्त: खूब तपा हुआ, बहुत गरम, दुःखी, पीड़ित।  

उत्तरी: ऊपर करने का कपड़ा, दुपट्टा। 

उत्ताप: गरमी, वेदना, पीड़ा, कष्ट, दुःख।  

उत्तोलन: ऊंचा करना, तानना, तौलना। 

उत्थान: उठने का काम या भार, उन्नति। 

उत्पत्ति: जन्म, उपज, पैदावार। 

उत्सर्ग: छोड़ना, त्यागना, दान, निछावर।  

उद्दीप्त: उभड़ा हुआ, बढ़ा हुआ, जागा हुआ, उत्तेजित। 

उद्धरण: किसी लेख को ज्यों का त्यों रख लेना, अच्छी अवस्था में आना। 

13. उप 

उपक्रम: (आरंभ) कार्यारंभ की पहली अवस्था, अनुष्ठान, तैयारी, भूमिका।  

उपचर्या: (विस्तार) व्यवहार, प्रयोग, चिकित्सा, इलाज, सेवा-सुश्रूषा। 

उपत्यका: (समीपता) पर्वत के पास की निचली भूमि, तराई। 

उपधातु: (छोटाई) अप्रधान धातु, मिश्रधातु। 

उपनिवेश: (विस्तार) बाहर जाकर बनाई गई बस्ती, कॉलोनी। 

उपनयुक्त: (अधिकता) बिल्कुल ठीक, उचित। 

उपरोध: काम को रोकना, रूकावट।  

उपविष्ट: (समीप) बैठा हुआ। 

उपांग: (गौणता) अंग का भाग। 

उपासना: (समीपता) ईश्वर के पास बैठना, आराधना, पूजा। 

14. कु 

कुकर्म: कुल्सित कर्म, बुरा काम 

कुघात: बेमौका या बुरी तरह घात 

कुचेष्टा: बुरी चाल, हानि पहुंचाने का यत्न 

कुतर्क: बेढंगी दलील 

कुपंथ: बुरा रास्ता, बुरी चाल 

कुपथ्य: अनुपयुक्त आहार 

कुबुद्धि: दुर्बुद्धि, मूर्खता, मूर्ख  

कुयश: अपकीर्ति, बदनामी 

कुलक्षण : बुरे लक्षण, कुचाल, बदचलनी 

15. तत् 

तत्काल: उसी समय, तुरंत 

तत्व: वही बात, यथार्थ, मूल 

तत्सम: उस के समान 

तदुपरांत: उसके बाद  

तद्रूप: उसके रूप के अनुसार 

तद्वत्: उसके समान 

तन्मय: उसमें लीन 

16. दुः, दुर, दुस्, दुष 

दुःख: मन को कष्ट देने वाली अवस्था। 

दुःसाध्य: जिसका उपाय या सामना करना कठिन हो 

दुरभिसंधि: दुष्ट अभिप्राय से गुट की सलाह।  

दुराग्रह: अनुचित बात, लगातार हठ।  

दुराराध्य: जिसे प्रसन्न करना बहुत कठिन हो। 

दुरुत्साहित: जिसे कार्य के लिए प्रोत्साहन मिला हो। 

दुर्धर्ष: जिसे वश में करना कठिन हो। 

दुर्नीति: बुरी नीति, अन्याय, बुरा आचरण। 

दुर्भेद्य: जिसे भेदना या पार करना कठिन हो।  

दुर्लघ्य: जिसे लॉघना कठिन हो। 

दुश्चक्र: बुरी चाल, साजिश। 

दुश्चिंतन: गंदी बातों का विचार करते रहना।  

दुस्सह: जिसे सहन करना कठिन हो। 

17. नि 

निक्षिप्त: (अधोभाव) पैसा कहीं डाला हुआ। 

निदाघ: (अत्यन्त) ताप, गर्मी, धूप, ग्रीष्म ऋतु। 

निदान: (अधोभाव) मूल कारण, मूल कारण की खोज। 

निर्देश: (आदेश) शासन, आज्ञा, नियम की पूर्ति।  

निनाद : (अत्यंन्त) जोर का शब्द। 

निभृत: (अधोभाव) रखा हुआ, छिपा हुआ, निश्चल, शान्त। 

निमीलन: (अत्यंत) बंद करना, मूंदना, सिकोड़ना।  

नियंत्रण: (अत्यंत) नियम के बंधन में बांधना, अधिकार या वश में लेना। 

निवेदन: (अत्यंत) नम्र प्रार्थना। 

निसर्ग: (स्वार्थ) सृष्टि, प्रकृति, रूप। 

न्यास: (आदेश) धरोहर, थाती, सौंपा हुआ धन। 

निः शुल्क: (बिना) जहां या जिससे शब्द न हो, जो कोई शब्द न करे।  

निःश्रेयस: (अत्यंत) सब प्रकार के दुःखों का अभाव, मुक्ति, कल्याण।  

निःश्वास: (बाहर) सांस का बाहर निकलना, निकलती हुई सांस।  

निःसत्व: (बिना) जिसमें कुछ सार-सत्व न हो। 

निरनुनासिक: (निषेध) जो नासिक में न बोला जाता हो। 

निरभिमान: (बिना) जिसे अभिमान न हो, अंहकार-रहित 

निरभ्र: (बिना) बिना बादल का (जैसे निरभ्र आकाश) 

निरवधि: (बिना) जिसकी कोई अवधि न हो, असीम, अनन्त। 

निरामय: (बिना) नीरोग, स्वस्थ (जैसे निरामय शरीर) 

निरुक्त: (निश्चय) निश्चित रूप से बताया, समझाया गया। 

निरुद्यम: (बिना) जिसमें या जिसके पास कोई उद्यम न हो, निकम्मा। 

निरुपाय: जो कोई उपाय न कर सके। 

निर्गुण: (बिना) सत्व, रज, तमः गुण से परे, गुणरहित। 

निर्निमेष: (बिना) बिना पल झपकाए, एकटक। 

निर्वाह: (निश्चय) किसी प्रथा या रीति का निश्चय पूर्वक अनुपालन करना।  

निश्चेष्ट: (बिना) जिसमें चेष्टा या गति न हो, निश्चल, स्थिर।  

निश्शेष: (बिना) बिना कांटों का, बिना बाधा या संकट का।  

निष्करुण: (बिना) जिसके मन में करुणा न हो। 

निष्क्रिय: (बिना) जिसमें कुछ चेष्टा या क्रिया न हो  

निस्तल: (बिना) जिसका तल न हो, जिसके तल की थाह न हो।  

निस्सरण: (बाहर) निकलना, निकलने का मार्ग 

18. परि 

परिक्रमा: (चारों ओर) किसी स्थान या देवमंदिर के चारों ओर घूमना। 

परिसर: (चारों ओर) किले या नगर के आसपास की खाई।  

परिगृहीत: (पूर्णता) खूब मिला हुआ, संप्राप्त, स्वीकृत 

परितृप्त: (अतिशय) खूब तपा हुआ, पीड़ित, दुःखी। 

परिवर्जन: (स्वार्थे) मना करना, रोकना। 

परिशिष्ट: (स्वार्थे) बचा हुआ भाग। 

19. पुनः 

पुनःकरण: फिर से करना या दोहराना। 

पुनः प्राप्ति: गई, भेजी या खोई चीज फिर से मिलना। 

पुनरारंभ: स्थगित कार्य को फिर से आरम्भ करना। 

पुनरावलोकन: दोबारा देखना। 

पुनरुज्जीवित: फिर से जीवित किया गया। 

पुनर्मुद्रण: एक बार छपे हुए ग्रंथ, लेख आदि को फिर छापना। 

पुनर्वासन: फिर से बसाना या आबाद करना। 

पुनश्च: इसके बाद (लिखा गया)। 

20. प्र 

प्राक्थन: (विशेष) कही हुई बात या किये हुए काम की पुष्टि। 

प्रकांड: (बहुत) बहुत बड़ा, बहुत ऊंचा।  

प्रकोष्ठ: (आगे) मुख्य द्वार के पास की कोठरी, बड़ा कमरा। 

प्रगति: (आगे) आगे की ओर बढ़ना, उन्नति। 

प्रच्छाया: (बड़ा) पूरी छाया जैसे ग्रहण की।  

प्रणिधि: (विशेष) राज्य का विशेष प्रतिनिधि, दूत, अभिकर्ता। 

प्रदक्षिणा: (आगे) देवमूर्ति या देवस्थान के आस-पास घूमना, परिक्रमा। 

प्रद्वीप्त: (बहुत) चमचमाता हुआ, प्रकाश से युक्त, उजला। 

प्रमत्त: (बहुत) नशे में चूर, पागल, बावला, जिसकी बुद्धि ठिकाने न हो।  

प्रवर्तन: (आगे) कार्य आरंभ करना, प्रचलित करना, काम चलाना।  

प्रशाखा: (आगे) शाखा में से निकली शाखा, छोटी शाखा। 

प्रश्रय: (स्वार्थे) आश्रम, शरण, स्थान, सहारा, आधार। 

प्रहसन: (स्वार्थे) मिला हुआ, पहुंचा हुआ, सामने आया हुआ, उपस्थित। 

प्रेक्षण: (विशेष) देखना। 

प्रोत्साहन: (आगे) उत्साह को आगे बढ़ाने का काम, हिम्मत बांधना। 

प्रोन्नति: (आगे) वर्ग या पद में ऊपर चढ़ाने का भाव या कार्य  

प्रौढ़: (बहुत) अच्छी तरह बढ़ा हुआ, पुष्ट, पक्का। 

21. प्रति 

प्रतिकर: (बदले में) वह धन जो किसी की हानि करने पर बदले में दिया जाता है, हरजाना। 

प्रतिक्रम: (उल्टा) उल्टा क्रम, पहले क्रम से विपरीत। 

प्रतिगामी: (उलटा) उलटा चलने वाला, प्रगति-विरोधी। 

प्रतिग्रह: (स्वार्थे) ले लेना, दान लेना, पाणिग्रहण, विवाह, हिरासत। 

प्रतिच्छाया: (स्वार्थे) परछाई, प्रतिबिम्ब, छवि, तस्वीर। 

प्रतिपत्र: (समान) समान भाव से अंगीकृत, स्वीकृत, अवगत, ज्ञात, निश्चित, प्रमाणित। 

प्रतिपूर्ति: (मुकाबले में) व्यय किये हुए धन के बदले में उतना धन देना या पाना। 

प्रतिप्राप्ति: (फिर) किसी चीज का फिर से मिल जाना। 

प्रतिमूर्ति: (समान) किसी के अनुरूप हू-ब-हू बनी हुई मूर्ति। 

प्रतिरोपण: (बदले का) किसी अंग के बदले में दूसरा अंग लगाना।  

प्रतिवर्तन: (उलटा) उलटा घूमना या चक्कर लगाना, घूमकर लौटना।  

प्रतिवेश: (सामने) पड़ोस, आस-पास का स्थान। 

प्रतिष्ठित: (सामने) सम्मानित, इज्जतदार, स्थापित।  

प्रतिसमाहर्ता: (अधीनस्थ) टपबम ब्वससमबजवत  

प्रत्यर्पण: (बदले में) किसी वस्तु के स्थान पर ऐसी ही दूसरी चीज देना। 

प्रत्याख्यान: (विपरीत) कथन का खंडन, किसी कही गई बात का विरोध। 

प्रत्युपकार: (बदले में) उपकार के बदले में किया गया उपकार। 

22. वि 

विकिरण: (विशेष) किरणों का विशेष रूप में केन्द्रित हो जाना। 

विक्षत: (स्वार्थे) चोट खाया हुआ, क्षत, घायल। 

विक्षुब्ध: (विशेष) विशेष रूप से दुःखी या व्याकुल, उद्विग्न। 

विघूर्णन: (स्वार्थे) चक्कर खाना, घूमना। 

विच्छित्र: (विशेष) काटकर अलग किया हुआ, विभक्त, अलग। 

वितथ: (विपरीत) जिसमें तथ्य न हो, झूठा, मिथ्या। 

विदारण: (स्वार्थे) फाइना, मार डालना, नष्ट कर देना।  

विनियोग: (विशेष) किसी वस्तु का पूरा प्रयोग, व्यापार में पूंजी लगाना, सम्पत्ति का अंतरण।  

विनिर्दिष्ट: विशेष रूप से या अच्छी तरह बताया हुआ या निर्देश दिया हुआ।  

विपथ: (विपरीत) बुरा या खराब पथ गलत ---कुमार्ग। 

विभ्रम: (विशेष) धोखा, संदेह, भूल। 

रिक्त: (विपरीत) विरत, उदासीन, विमुख। 

विवर्धन: (विशेष) खूब बढ़ाना, बड़ा करना। 

विश्राम: (विपरीत) श्रम या थकावट दूर करने की स्थिति, आराम, चैन, सुख। 

विश्रुत: (अधिक) बहुत सुना-जाना हुआ, प्रसिद्ध, मशहूर। 

व्यतिरेक: (विपरीत) अभाव, भेद, अंदर, बाधा। 

23. स 

सकर्मक: कर्म से युक्त (क्रिया) 

सक्रिय: जो कुछ करता रहता हो, जिसमें कुछ क्रिया हो। 

सगोत्र: (एक ही में का) एक ही पूर्वज से उत्पन्न एक ही गोत्र के लोग। 

सचेष्ट: जो चेष्ट (कोशिश) करता हो, इच्छुक। 

सजिल्द: जिसमें जिल्द लगी हो, जिल्ददार। 

सज्ञान: ज्ञानवान, चतुर, सयाना, बुद्धिमान्। 

सफल: फलयुक्त, सार्थक, कामयाब, जिसमें फल लगा हो। 

समूल: मूलज समेत, जड़ से।  

सरोष: क्रोधयुक्त, कुपित, क्रोध से, रोषपूर्वक। 

सहृदय: हृदय वाला, भावुक, रसिक, दयालु। 

24. सत् 

सच्छास्त्र: अच्छे-अच्छे शास्त्र। 

सत्त्व: अच्छा गुणा, जीवन शक्ति, प्राण। 

सत्पथ: उत्त या श्रेष्ठ मार्ग, अच्छा आचरण, सदाचरण। 

सत्संग: साधु-सज्जनों, सत्पुरुषों का संग-साथ, भली संगत। 

सत्साहित्य: उत्तम और उच्च कोटि का साहित्य। 

सद्गुण: अच्छा गुण। 

सद्भाव: प्रेम और हित का भाव, अच्छी नीयत। 

25. सम् 

संकर्षण: भली प्रकार खींचना, हल जोतना। 

संक्रांति: सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना, ऐसा समय या दिन। 

संक्षेप: थोड़े में कोई बात कहना, किसी शब्द या बात का छोटा रूप। 

संघर्ष: रगड़ खाना, रगड़, आपसी विरोध, प्रयास, कड़ी कोशिश। 

संत्रस्त: भयभीत, डरा हुआ, व्याकुल, घबराया हुआ, पीड़ित। 

संधान: निशाना बैठाना, तलाश, जमा-खर्च का हिसाब पूरा करना, मेल मिलाना। 

संपृक्त: साथ लगा या जुड़ा हुआ, संबद्ध। 

संबंध: लगाव, सम्पर्क, नाता, रिश्ते, विवाह अथवा विवाह का निश्चय। 

संयुक्त: जुड़ा या सटा हुआ, संबद्ध, मिला हुआ, न बंटा हुआ। 

संवेदना: क्रोध, अनुभूति, सहानुभूति, हमदर्दी, विशेष चेतना। 

संहार: नाश, विध्वंस, मार डालना, गूंथना, अच्छी तरह समेट कर बांधना।  

समुच्चय: बहुत सी वस्तुओं का एक होना, समूह, राशि। 

समृद्ध: जिसे बहुत ऋद्धि प्राप्त हो, संपन्न, धनवान। 

26. सम 

समक्ष: (आंख की बराबरी पर) सम्मुख, सामने। 

समतोलन: सबको बराबर का महत्व देना, दोनों पक्षों या पलड़ों को बराबर रखना। 

समवृत्त: वह वृत्त या छंद जिसके चारों चरण समान हों। 

समवर्ती: समान अवयवों का संबंध, नित्य संबंध समूह, झुंड। 

समसमुन्नत: जो थोड़ी-थोड़ी दूरी के बाद पहले वाले समधरातल में कुछ ऊंचा होता जाए। 

27. सु 

सुकर: जो सहज में किया जा सके, सुगम। 

सुख्याति: अच्छी प्रसिद्धि, सुयश। 

सुग्राह्य: सुगमता से ग्रहण करने योग्य। 

सुतीक्ष्ण: बहुत तीक्ष्ण/तेज। 

सुदर्शन: देखने में सुंदर, मनोरम। 

सुरति: पति-पत्नी का गहरा प्रेम। 

सुरम्य: अत्यंत मनोहर, परम सुंदर। 

सुवास: सुंगध, अच्छा घर। 

सुषुप्ति: सु+सुप्ति, अच्छी गहरी नींद। 

सुसाध्य: सहज में हो सकने वाला, सुगम। 

28. स्व 

स्वच्छन्द: स्वतंत्र, स्वाधीन, निरंकुश। 

स्वदेश: अपना देश, मातृभूमि। 

स्वराज्य: अपना राज्य, स्वतंत्रता। 

स्वशासन: अपना राजनैतिक प्रबंध, अपनी सरकार।  

स्वाक्षर: अपने अक्षरों में लिखा हुआ संदेश। 

स्वाधिकार: अपना अधिकार, स्वाधीनता। 

स्वाभिमान: अपनी प्रतिष्ठा का सम्मान। 

स्वायत्त: जिस पर अपना ही अधिकार/शासन हो। 

स्वाश्रित: केवल अपने सहारे ही रहने वाला। 

स्वीकार: अपना बनाना, अंगीकार। 

स्वेच्छया: अपनी इच्छा से। 

संस्कृत उपसर्ग 

  

उपसर्ग  

अर्थ 

शब्दरूप 




अति  

अधिक, ऊपर, उसपार  

अत्याचार, अत्यन्त। 




अनु 

क्रम, पश्चात्, समानता  

अनुशासन, अनुरूप। 




अप 

लघुता, हीनता, अभाव, 

विरुद्ध 

अपमान, अपशब्द।  




अभि  

सामीप्य, आधिक्य, और 

इच्छा प्रकट करना आदि 

अभिप्राय, अभियोग, 

अभिलाषा, अभिमुख।  




उप  

निकटता, सदृश, गौण, 

सहायक, हीनता  

उपकार, उपकूल,  

उपनाम, उपासना, उपभेद। 







परा  

उलटा, अनादर, नाश 

पराजय, पराभव, पराभूत।  

परि 

आसपास, चारों ओर,  

पूर्ण, अतिशय, त्याग 

परिक्रमा, परिपूर्ण,  

परितोष, पर्याप्त।  




प्रति  

विरोध, बराबरी, प्रत्येक, 

परिवर्तन 

प्रशिक्षण, प्रतिध्वनि, 

प्रतिकार, प्रत्यक्ष, प्रत्युपकार  




  

हिन्दी उपसर्ग 

  

अ-अन 

निषेध के अर्थ में  

अथाह, अलग, अनजान। 

उन  

एक कम  

उनतीस, उनसठ।  

औ (अव) 

हीनता, निषेध  

औगुन, औघट।  

बिन  

निषेध 

बिनदेखा, बिनकाम।  

भर  

पूरा, ठीक 

भरपेट, भरपूर।  

उर्दू उपसर्ग (अरबी-फारसी) 

  

कम 

हीन, थोड़ा  

कमसिन, कमउम्र, कमजोर। 

गैर  

निषेध 

गैरकानूनी, गैरमुनासिब।  

दर  

में  

दरअस्ल, दरमियान।  

बर  

ऊपर, पर, बाहर 

बर्दाश्त, बरखास्त।  

बिल 

साथ  

बिलकुल। 

सर  

मुख्य 

सरगना, सरताज, सरपंच।  

हर  

प्रत्येक  

हरसाल, हररोज।  


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