8. प्रत्यय
प्रत्यय (SUFFIX)
उस अक्षर या अक्षरसमूह को प्रत्यय कहते हैं जो शब्दों के बाद लगाया जाता है। ‘प्रति + अय’ इन दो शब्दों से प्रत्यय बना है। प्रति = साथ में, पर बाद में_ अय = चलने वाला। इस प्रकार प्रत्यय का अर्थ है ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला’। उदाहरण ‘आई’ प्रत्यय है जो ‘भला’ शब्द के पीछे लगकर ‘भलाई’ शब्द बनता है।
प्रत्यय के दो भेद होते हैं- कृदन्त और तद्धित।
कृदन्त: वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में प्रयुक्त होते हैं, कृत् प्रत्यय कहलाते हैं और कृत् प्रत्ययों के मेल से बने शब्द को कृदन्त कहते है। हिन्दी क्रियाओं के अन्त का ‘ना’ हटा देने पर जो अंश शेष रहता है वही धातु है। उदाहरण चलना के चल और कहना के कह धातु में यही प्रत्यय लगता है।
1. कर्तृवाचक कृदन्त: जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात् कर्त्ता का बोध हो, वह कर्तृवाचक कृदन्त कहलाता है। जैसे-पढ़ना, इस सामान्य क्रिया के साथ, ‘वाला’ प्रत्यय लगाने से ‘पढ़नेवाला’ शब्द बना।
2. कर्मवाचक कृदन्त: जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का बोध हो, वह कर्मवाचक कृदन्त कहलाता है। जैसे-गा में ना प्रत्यय लगाने से गाना सूंघ में नी प्रत्यय लगाने से सूंघनी और बिच्छ में औना प्रत्यय लगाने से बिछौना बना है।
3 करणवाचक कृदन्त: जिस प्रत्यय के बने शब्द से क्रिया के साधन अर्थात् करण का बोध हो वह करणवाचक कृदन्त कहलाता है। जैसे-रेत में ई प्रत्यय लगने से रेती बना।
4. भाववाचक कृदन्त: जिस प्रत्यय से बने शब्द से भाव अर्थात् क्रिया के व्यापार का बोध हो, वह भाववाचक कृदन्त कहलाता है। जैसे-सजा में आवट प्रत्यय लगाने से सजावट बना।
5. क्रियावाचक कृदन्त: जिस प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के होने का भाव प्रकट हो, वह क्रियावाचक कृदन्त कहलाता है। जैसे-भागता हुआ, लिखता हुआ आदि। इसमें मूल धातु के साथ तो लगाकर बाद में ‘हुआ’ लगा देने से वर्तमानकालिक क्रियावाचक कृदन्त बन जाता है। क्रियावाचक कृदन्त केवल पुल्लिंग और एकवचन में प्रयुक्त होता है।
कृत प्रत्यय लगने के बाद बनने वाले शब्द
कृत | शब्द |
ऐया, वैया | खैया |
हार | होनहार |
इया | छलिया |
वाला | गानेवाला |
तव्य | कर्तव्य |
अक | कारक |
मान | विद्यमान |
संस्कृत के कृत प्रत्यय और संज्ञाएं
कृत प्रत्यय | संज्ञाएं |
आ | इच्छा |
अना | वेदना |
अना | वन्दना |
अ | काम |
आ | पूजा |
ति | शक्ति |
या | मृगया |
अक | गायक |
उ | बन्धु |
उक | भिक्षुक |
संस्कृत के कृत प्रत्यय और विशेषण
कृत प्रत्यय | विशेषण |
मान | सेव्यमान |
अनीय | दर्शनीय |
हिन्दी के कृत प्रत्यय
आहट | चिल्लाहट |
अंत | लड़ंत |
नी | बेलनी |
ना | बेलना |
आक | तैराक |
आलू | झगड़ालू |
इया | बढ़िया |
तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो संज्ञा और विशेषण के अंत में लगते हैं, उन्हें तद्धित कहा जाता है। कृदन्त में मुख्यतः धातु या क्रिया के अंत में प्रत्यय लगता है जब कि तद्धित में संज्ञा या विशेषण के अंत में।
तद्धित प्रत्यय
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के अन्त में लगकर उन्हें नये शब्द बनाते हैं, वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। इनके योग से बने शब्दों को ‘तद्धितांत’ अथवा तद्धित शब्द कहते हैं। जैसे अपना + पन = अपनापन, दानव + ता = दानवता आदि।
हिन्दी के कुछ तद्धित प्रत्ययों और उनसे निर्मित शब्दों का उल्लेख किया जा रहा है।
1. कर्तृ वाचक तद्धित: जिससे किसी कार्य करने वाले का बोध हो। जैसे-सुनार, कहार आदि।
2. भाववाचक तद्धित: जिससे भाव व्यक्त हो। जैसे-सराफा, बुढ़ापा, संगत, प्रभुता आदि।
3. सम्बन्धवाचक तद्धित: जिससे सम्बन्ध का बोध हो। जैसे-ससुराल, भतीजा, चचेरा आदि।
4. उन (लघुता) वाचक तद्धित: जिससे लघुता का बोध हो। जैसे-लुटिया।
5. गणनावाचक तद्धित: जिससे संख्या का बोध हो। जैसे-इकहरा, पहला, पांचवा आदि।
6. सादृश्यवाचक तद्धित: जिससे समता का बोध हो। जैसे-सुनहारा, रुपहरा।
7. गुणवाचक तद्धित: जिससे किसी गुण का बोध हो। जैसे-भूखा, विषैला, कुलवन्त आदि।
8. स्थानवाचक तद्धित: जिससे स्थान का बोध हो। पंजाबी, जबलपुरिया, दिल्लीवाला आदि।
तद्धित प्रत्यय | भाववाचक संज्ञाएं |
ता | मूर्खता |
ता | बुद्धिमत्ता |
त्व | वीरत्व |
तद्धित प्रत्यय | विशेषण |
वान | धनवान |
इल | तन्द्रिल |
य | ग्राम्य |
इक | मौखिक |
मय | आनन्दमय |
इष्ठ | बलिष्ठ |
निष्ठ | कर्मनिष्ठ |
तद्धित प्रत्यय | भाववाचक संज्ञाएं |
आई | चतुराई |
आन | चौड़ान |
आरा | छुटकारा |
आस | मिठास |
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं पूछे गये प्रत्यय
प्रत्यय | शब्द रूप |
वाला | पढ़नेवाला, लिखनेवाला, रखवाला। |
हारा | राखनहारा, सोवनहारा, पालनहारा। |
आऊ | बिकाऊ, टिकाऊ, चलाऊ। |
आक | तैराक। |
आका | लड़ाका, धड़ाका, धमाका। |
आड़ी | अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी। |
आलू | झगड़ालू। |
ऊ | उड़ाऊ, कमाऊ, खाऊ। |
एरा | लुटेरा। |
इया | बढ़िया, घटिया। |
ऐया | गवैया, रखैया, लुटैया। |
अक | धावक, सहायक, पालक। |
प्रत्यय | शब्द रूप |
ना | गाना, ओढ़ना। |
औना | बिछौना। |
नी | सुंघनी, ओढ़नी। |
प्रत्यय | शब्द रूप |
आव | चढ़ाव, खिंचाव, बचाव। |
आई | लड़ाई, कमाई, चढ़ाई |
आप | मिलाप, विलाप |
आवट | सजावट, लिखावट, दिखावट। |
आहट | घबराहट, चिल्लाहट, गुर्राहट। |
वा | बुलावा। |
कर्तृ वाचक तद्धित: जिससे किसी कार्य के करने वाले का बोध हो। जैसे-सुनार, कहार आदि।
प्रत्यय | शब्द रूप |
आर | सुनार, लुहार, कहार। |
इया | सुखिया, दुखिया, आढ़तिया। |
ई | तेली, भेली, जेली। |
उआ | मछुआ, गेरुआ, ठलुआ। |
वाला | टोपीवाला, घरवाला, गाड़ीवाला। |
हारा, हार | लकड़हारा, मनिहार। |
ची | मशालची, खजानची, ऐलची। |
गर | कारीगर, बाजीगर, जादूगर। |
प्रत्यय | शब्द रुप |
आ | बुलावा, सराफा। |
आई | भलाई, बुराई, ढिठाई। |
आहट | चिकनाहट, कड़ुवाहट, अमावट। |
इमा | लालिमा, महिमा, अरुणिमा |
पा | बुढ़ापा, मुटापा। |
ई | गर्मी, सर्दी, गरीबी। |
औती | बपौती। |
त | रंगत, संगत। |
पन | बचपन, लड़कपन, बालकपन। |
गी | जिन्दगी, मर्दानगी। |
ता | प्रभुता, लघुता, सुन्दरता। |