3. हिन्दी व्याकरण : विशेषण (Adjective)
3. हिन्दी व्याकरण : विशेषण (Adjective)
विशेषण (ADJECTIVE)
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताए उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण के तीन भेद बताए गए हैं
1. सार्वनामिक विशेषण
2. गुणवाचक विशेषण
3. संख्यावाचक विशेषण
2. परिमाणवाचक विशेषण : माप, तौल और मात्र का बोध करानेवाले शब्द को ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं।
जैसे:
पूरा काम, थोड़ा खाना, सब लड़के बहुत अनाज, एक किलो दूध, दो किलो दाल, तीन गज कपड़ा चार कट्टा जमीन, पांच भर सोना।
प्रविशेषण
परिभाषा: विशेषण अथवा क्रियाविशेषण की विशेषण बतलानेवाले शब्द को ‘प्रविशेषण’ कहते हैं। जैसे:
बहुत लंबा आदमी, अत्यंत कोमल ”दय, सहज-सुंदर कविता, महंगी फुटपाथी कमीज, सिंदूरी लाल रंग, अतिशय विश्वासी व्यक्ति, अति स्वादिष्ट भोजन,सुंदर सजीला युवक।
इन वाक्यांशों में बहुत, अत्यंत, सहज, महंगी, सिंदूरी, अतिशय, अति और संदुर प्रविशेषण हैं।
तुलनाबोधक विशेषण
परिभाषा: एक वस्तु या भाव की तुलना दूसरी वस्तु या भाव से करने को ‘तुलनात्मक विशेषण’ कहते है। जैसे-
श्याम से मोहन अच्छा लड़का है।
इस घोड़े की बनिस्वत वह तेज घोड़ा है।
सुरेंद्र की अपेक्षा मनोहर अधिक सज्जन है।
दो वस्तुओं में अच्छाई या बुराई दर्शाने के लिए विशेषण शब्दों के अंत में ‘तर’ और ‘तम’ लगाया जाता है।
एक की अपेक्षा दूसरे में अधिक विशेषता दिखाने के लिए ‘तर’ प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे-सोहन से मोहन सुंदरतर है।
इसी प्रकार किसी की विशेषता की अपेक्षा दूसरे में सर्वाधिक विशेषता दिखाने के लिए ‘तम’ प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे- मानव तुम सुंदरतम हो।
विशेषण | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
निकट | निकटतर | निकटतम |
महत् | महत्तर | महत्तम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
निम्न | निम्नतर | निम्नतम |
बुराई दिखलाने के लिए निम्नतर, निम्नतम, निकृष्टतम आदि विशेषणों को प्रयोग होता है।
समान गुण बताने के लिए संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों के आगे सा, सी और से लगाकर विशेषण बनाया जाता है। जैसे-
संज्ञा | सर्वनाम | विशेषण |
चांद-सा मुखड़ा | तुम-सा उदार | बड़ा-सा पेट |
उल्लू-सी नाक | मुझ-सा मूर्ख | छोटी-सी बात |
रेशम-जैसे बाल | वैसे लोग | गुड़िया-सा मुंह |
द्वित्व विशेषण
परिभाषा: एक ही विशेषण की आवृत्ति अथवा सहचर विशेषण को ‘द्वित्व विशेषण’ कहते हैं। जैसे-
सजातीय | समानार्थक | विरोधदर्शक |
नया-नया | सीधा-सादा | अच्छा-बुरा |
ठंडा-ठंडा | चिकनी-चुपड़ी | ऊंचा-नीचा |
कच्चा-पक्का | हृष्ट-पुष्ट | भला-बुरा |
आदान-प्रदान | सांवला-सलोना | ठंडा-गरम |
सहज-सुलभ | बहुत-ज्यादा | नूतन-पुरातन |
रंग-बिरंगा | हट्टा-कट्टा | सस्ता-महंगा |
विशेष्य और विशेषण
विशेष्य: जिस संज्ञा की विशेषता प्रकट की जाय, उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं। विशेषण के साथ रहने पर संज्ञा शब्द ‘विशेष्य’ कहलाता है। जैसे-‘तेज छात्र’ में ‘तेज’ विशेषण है और ‘छात्र’ विशेष्य है।
प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद है:
1. विशेष्य-विशेषण
2. विधेय विशेषण
1. विशेष्य विशेषण: विशेष्य के पहले आनेवाला विशेषण ‘विशेष्य विशेषण’ कहलाता है। जैसे-
मोहन नम्र बालक है।
सुमन चंचल लड़का है।
‘अभिनंदन’ मासिक पत्रिका है।
यह राष्ट्रीय ध्वज है।
माधुरी सुशील लड़की है।
यह रंगीन कपड़ा है।
यह सुवासित उद्यान है।
यह पुष्पित वृक्ष है।
1. सार्वनामिक विशेषण: पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर शेष सर्वनामों का प्रयोग विशेषण के समान होता है। वाक्य में अकेले आने पर ये शब्द सर्वनाम होते हैं और जब इनके साथ संज्ञा आती है तब ये विशेषण होते हैं। जैसे-आम आया है, वह बाहर बैठा है।
2. गुणवाचक विशेषण: इससे संज्ञा का गुण लक्षित होता है। गुणवाचक विशेषणों की संख्या अन्य सभी विशेषणों की अपेक्षा अधिक होती है। कुछ गुणवाचक विशेषण ये हैं।
काल: नया, पुराना, प्राचीन, अगला, पिछला आदि।
3. संख्यावाचक विशेषण: जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोधन होकर उसकी संख्या का बोध होता है उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-दस हाथी, चालीस दिन, कुछ लड़के, सब लड़के आदि।
2. विधेय विशेषण : विशेष्य के बाद आनेवाला विशेषण ‘विधेय विशेषण’ कहलाता है। जैसे -
वह सामान विदेशी था।
यह छात्र मेधावी है।
इसका सौंदर्य अनुपम है।
यह कमरा सुसज्जित है।
उनका भाषण उबाऊ था।
भारत का अतीत स्वर्णिम था।
मेरे पिताजी ग्रामीण है।
भारत की सभ्यता उन्नत है।
नामिक विशेषण
कभी-कभी संज्ञा शब्द विशेष की भांति प्रयुक्त होते हैं। विशेषण की भांति प्रयुक्त होने पर संज्ञा शब्द ‘नामिक विशेषण’ कहलाते हैं। जैसे-
शिशु अवस्था | गंगा नदी | रामपुर गांव |
भक्ति आंदोलन | बालक स्वभाव | पटना शहर |
हिमालय पहाड़ | पुलिस चौकी | रजत हास |
ब्राह्मण जाति | किसान भाई | भारत सरकार |
तुषार कांति | चौक थाना | बंबई नगरी |
विशेषणों का संज्ञा की भांति प्रयोग
कुछ विशेषण संज्ञा की भांति प्रयुक्त होते हैं। संज्ञा की भांति प्रयुक्त होने पर विशेषण बहुवचन का रूप लेते हैं। जैसे-
1. बहुतों ने खाया।
2. दीनों पर दया करो।
3. अनेकों ने कहा।
4. गरीब भी जीना चाहते हैं।
5. हमारे वीरों ने शौर्य का प्रदर्शन किया।
6. बड़ों का कहना मानो।
7. हमें बूढ़ों की सेवा करनी चाहिए।
8. युद्ध कभी कायरों से नहीं लड़ा जाता।
9. निर्बल को न सताइए जाकि मोटी खाल।
10. हमारे देश में बुद्धिमानों की कमी नहीं है।
11. सदा अच्छों की संगति में रहना चाहिए।
12. प्राचीन भारत में अनेक विदुषियां थी।
कुछ विशेषण सदा एक समान (बिना किसी परिवर्तन के) प्रयुक्त होते हैं, जैसे-
मासिक पत्र | मासिक पत्रिका | मासिक पत्रिकाएं |
कीमती कंगन | कीमती चूड़ी | कीमती पत्रिकाएं |
भारी पत्थर | भारी शिला | भारी शिलाएं |
नटखट लड़का | नटखट लड़के |
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नटखट लड़की | नटखट लड़कियां |
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अविकारी शब्द (अव्यय)
जिस शब्द अथवा शब्दांश के रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता, उसे अव्यय कहते हैं। ऐसे शब्द में कोई रूपान्तर नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने रूप में बने रहते हैं। ऐसे शब्दों का व्यय नहीं होता, अतः ये अव्यय हैं। जैसे-जब, तब, ठीक, एवं, अरे, किन्तु, परन्तु, बल्कि, कब, क्या, क्यों आदि।
1. क्रियाविशेषण
2. सम्बन्धबोधक
3. समुच्चयबोधक
4. विस्मयादिबोधक
1. क्रियाविशेषणः जिस अव्यय से क्रिया, विशेषण या दूसरे क्रियाविशेषण की विशेषण जानी जाती है उसे क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-यहां, वहां, जल्दी-जल्दी, धीरे, अभी, बहुत, कम आदि। राम धीरे-धीरे टहलता है।
2. सम्बन्धबोधक अव्यय (Preposition) : जो अव्यय संज्ञा के बहुधा पीछे आकर उसका सम्बन्ध वाक्य के किसी दूसरे शब्द के साथ दिखलाता है उसे सम्बन्धबोधक कहते हैं। जैसे- धन के बिना किसी का काम नहीं चलता।
3. समुच्चयबोधक अव्यय (Conjuction): जो अव्यय किसी क्रिया या संज्ञा की विशेषता न बतलाकर एक वाक्य या शब्द का सम्बन्ध दूसरे वाक्य या शब्द से मिलाता है उसे समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे-और, यदि, तो, क्योंकि आदि।
4. विस्मयादि बोधक (Interjection): जिन अव्ययों के सम्बन्ध वाक्य से नहीं रहता, जो वक्ता के केवल हर्ष, शोक आदि भाव सूचित करते हैं उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे हाय! अब मैं क्या करूं?