17. विराम चिह्न
17. विराम चिह्न
लेखक के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य अथवा वाक्यों में किया जाता है, उन्हें विरामचिह्न कहते हैं।
‘विराम’ का शाब्दिक अर्थ होता है ठहराव। लेखनकार्य में इसी ‘ठहराव’ के लिए चिह्नों का प्रयोग होता है।
प्रत्येक विराम चिह्न लेखक की विशेष मनोदशा का एक ठहराव है अथवा विराम का संकेत स्थान है।
विरामचिह्नों का प्रयोग पश्चिमी साहित्य अथवा अंग्रेजी के माध्यम से भारतीय भाषाओं में शुरू हुआ है। 19वीं शती के पूर्वार्द्ध तक भारतीय भाषाओं में विरामचिन्हों को प्रयोग नही होता था। संस्कृत भाषा में केवल पूर्णविराम का प्रयोग हुआ है।
हिन्दी में प्रयुक्त विरामचिह्न
हिन्दी में मुख्यतः निम्नलिखित विरामचिह्नों का प्रयोग होता है-------
1. अर्द्धविराम (Semicolon):;
2. पूर्णविराम (Full Stop) ।
3. अल्पविराम (Comma),
4. योजकचिह्न (Hyphen) -
5. प्रश्नवाचक चिह्न (Sign of Interogation)?
6. विस्मयादिबोधक चिह्न (Sign of Exclamation):!
7. उद्धरण चिह्न (Inverted Comma):””
8. कोष्ठक चिह्न (Bracket) () {} []
9. विवरण चिह्न (Colon):
10. निर्देशन चिह्न (Dash) -
(1) अर्द्धविराम (;)
एक वाक्य या वाक्यांश के साथ दूसरे का दूर का सम्बन्ध ब तलाने के लिए अर्द्धविराम का प्रयोग होता है। जैसे-यह कलम अधिक दिनों तक नहीं चलेगी_ यह बहुत सस्ती है।
(2) पूर्णविराम (|)
पूर्णविराम का अर्थ पूर्ण ठहराव। जहां विचार की गति एकदम रुक जाय, वहां पूर्णविराम का प्रयोग होता है। वस्तुतः वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम का प्रयोग होता है। जैसे-यह लाल घोड़ा है। वह सुन्दर लड़की है।
(3) अल्पविराम (,)
अल्पविराम का अर्थ है थोड़े समय के लिए ठहरना। अपनी मनोदशा के अनुसार लेखक अपने विचारों में अल्प ठहराव ले आता है। ऐसे ठहराव के लिए ही अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।
जब वाक्य में दो से अधिक समान पदों, पदांशों अथवा वाक्यों में संयोजन अव्यय ‘और’ की गुंजाइश हो तो उस स्थान पर अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे-युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव आ रहे हैं। वाक्यों में-मोहन सुबह आता है, झाडू लगाता है, पानी भरता है और चला जाता है।
(4) संयोजक चिह्न (-)
योजक चिन्ह वाक्य में प्रयुक्त शब्द-अर्थ को स्पष्ट करते हैं। इससे किसी शब्द के उच्चारण-अर्थ-वर्तनी में स्पष्टता आती है।
निम्नलिखित रूप में योजक चिह्नों का प्रयोग किया जा सकता है।
1. दो विपरीतार्थक शब्दों के बीच योजक चिह्न लगाये जा सकते है। जैसे-रात-दिन, पाप-पुण्य, माता-पिता, लेन-देन, आदान-प्रदान आदि।
2. जिन पदों के दोनों खण्ड प्रधान हो और जिनमें ‘और’ लुप्त हो वहां योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-लोटा-डोरी, माता-पिता, लड़का-लड़की, भात-दाल आदि।
3. यदि एक ही शब्द दो बार प्रयुक्त हो तो उनके बीच योजक चिह्न लगाया जा सकता है। जैसे-राम-राम, बच्चा-बच्चा, बूंद-बूंद, नगर-नगर, गली-गली आदि।
4. लिखते समय यदि कोई शब्द पंक्ति के अन्त में पू रा न हो तो उक्त शब्द के आधे खण्ड के बाद योजक चिह्न लगाया जा सकता है।
(5) प्रश्नवाचक चिह्न (?)
निम्न अवस्थाओं में प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है।
1. जहां प्रश्न पूछा या किया जाय, जैसे-तुम क्या कर रहे हो?
2. व्यंग्योक्तियों के प्रयोग में, जैसे-यही आपका कर्त्तव्य है न?
3. जहां स्थिति निश्चित न हो, जैसे-शायद आप लखनऊ के रहने वाले हैं?
(6) विस्मयादिबो धक चिह्न (!)
करुणा, भय, हर्ष, विषाद, आश्चर्य, घृणा आदि भावों को व्यक्त करने लिए निम्नलिखित स्थितियों में विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है।
1. अपने से छोटों के प्रति सद्भावना अथवा शुभकामना व्यक्त करने के लिए विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-तुम चिरंजीवी हो ! भगवान् तुम्हारा भला करें!
2. आह्लादसूचक शब्दों, पदों एवं वाक्यों के अन्त में विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे-वाह! तुम धन्य हो!
3. मन की प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए इसका प्रयोग होता है। ज ैसे-वाह! वाह! वाह! कितना सुन्दर नृत्य किया तुमने!
4. अपने से बड़े लोगों के प्रति आदर का सम्बोधन देने के लिए भी इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-हे राम! तेरी जय हो।
(7) उद्धरण चिह्न (‘‘’’)
इसके दो रूप हैं:
1. इकहरा उद्धरण चिन्ह (Single Inverted Comma);
2. दुहरा उद्धरण चिह्न (Double Comma).
किसी ग्रंथ से जब कोई वाक्य अथवा अवतरण उद्धृत किया जाता है, उस समय दुहरे उद्धरण चिह्न का प्र योग होता है। जब कोई विशेष पद, वाक्य खण्ड उद्धृत किया जाये उस समय इकहरा उद्धरण चिह्न लगता है जैसे- ‘कामायनी’ एक महाकाव्य है।
(8) कोष्ठक चिह्न ()
वाक्य में प्रयुक्त पदविशेष को अच्छी तरह स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। जैसे श्रीकृष्ण के भाई (बलराम) शस्त्र के रूप में हल धारण करते थे। धर्मराज (युधिष्ठिर) पाण्डवों के अग्रज थे।
(9) विवरण चिह्न (:-)
किसी पद की व्य ाख्या करने या किसी के बारे में विस्तार से कुछ कहने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग होता है।